Wednesday, May 5, 2021

BHAI SHER SINGH RANA - THE LIVING LEGEND OF RAJPUTANA - IMMORTAL RAJPUTS


He brought back the relics of Last Hindu Samrat Prithviraj Chauhan sahib,

Even Taliban there did not scare him.




He planted the flag of Rajput pride all across the country.”



Living Legend Of Rajputana 'Sher Singh Rana'



भाई शेर सिंह राणा जिन्होंने अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां (जो लगभग 800 सालों से अफगानिस्तान में गजनी के समाधी के बाहर था और उनका अफगानियों द्वारा तिरस्कार किया जाता था)लेकर आएं और देश का गौरव बढ़ाया।


शेर सिंह राणा जी को देश का गौरव जान की बाजी लगाकर लौटाने का सम्मान तो हर हाल में मिलना चाहिये। जंग का कोई नियम नहीं होता, कोई मर्यादा नहीं होती और लुटेरों, आततायियों, आक्रमणकारियों के साथ तो बिलकुल नहीं, तब शेर सिंह राणा को शाबाशी से वंचित कैसे किया जा सकता है?

आखिरकार आजादी के गरम दल व गरम खून के सेनानियों ने भी अंग्रेजों से लोहा लेने में अंग्रेजों के तौर-तरीके ही अपनाये थे, जो कि कतई गलत नहीं थे तो शेर सिंह राणा जी का यह दुस्साहसिक कदम भी सराहा जाना चाहिये।

 जानते हैं कौन है शेर सिंह राणा जी और डकैत फूलन से क्या थी उनकी रंजिश...



शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को उत्तराखंड के रुड़की में हुआ था। उनका असली नाम पंकज सिंह पुंढीर है। तिहाड़ जेल में रहते हुए शेरसिंह राणा सन 2012 में उत्तरप्रदेश के जेवर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके है। लेकिन वे हार गये थे। दस्यु सुंदरी रही फूलन की २५ जुलाई २००१ को राजपूत युवक शेर सिंह राणा जी उर्फ पंकज सिंह ने हत्या का आरोप लगा। कहा गया बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए राणा जी ने इस वारदात को दिल्ली के सबसे सुरक्षित इलाकों में से एक माने जाने वाले अशोका रोड पर अंजाम दिया था।



Key Witness Munni devi (sister of phoolan) statement in court and public.




शेर सिंह राणा जी पर आरोप है कि उन्होंने फिल्मी अंदाज में मिर्जापुर की सपा सांसद डकैत फूलन को सरेआम गोलियों से छलनी कर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद कहा गया कि उन्होंने बेहमई में २२ निर्दोष राजपूतों के नरसंहार का बदला लिया है। हालांकि, बेहमई नरसंहार में राणा जी की डकैत फूलन से कोई निजी दुश्मनी नहीं थी।


क्या था बेहमई नरसंहार


कानपुर देहात से करीब ५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक राजपूत बहुल गांव में आज भी डकैत फूलन के कहर की गूंज सुनाई देती है। डकैत फूलन ने १४ फरवरी १९८१ को बेहमई में २२ निर्दोष लोगों को सरेआम गोली से मार्के नरसंहार किया बस क्योंकि वो ठाकुर थे। 


डकैत फूलन के द्वारा यहां 20 निर्दोष लोग मारे गए थे जिसमें आखरी का नाम नजीर खान  मुसलमान है और उसके ऊपर के 2 नाम रामअवतार कठेरिया(दलित समाज) तुलसीराम मौर्य (पिछड़ी जाति) के हैं! उम्र आप देख सकते हो अगर आप यह साबित कर दें कि मरने वालों में एक भी बलात्कारी या डाकू था तो आप जो कहें हारने को तैयार हैं!


फूलन ने निर्दोष लोगों की हत्या की। घटनास्थल पर मौजूद सीता नाम की नन्हीं लड़की को फूलन ने इतनी जोर से जमीन पर पटका था कि वह भय और चोट से जिंदगी भर के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग हो गई थी।

इस सीता नाम की छोटी बच्ची को भी फूलन ने अपाहिज कर दिया था जिसकी बाद में मृत्यु हो गई क्या इस बच्ची ने भी फूलन का रेप किया था अगर फूलन ने अपने बलात्कारियों को मारा था तो क्या उसके बलात्कार में मुसलमान और दलित भी थे क्योंकि मरने वालों में वह भी शामिल थे !

 हालांकि, इसके बाद क्षत्रीय स्वाभिमान रक्षा संगठन का गठन हुआ पर तत्कालीन सरकार फूलन के साथ रही।

वर्ष 1982 डाकू महेंद्र सिंह राजपूत गिरोह ने डकैत फूलन गिरोह के 35 डाकुओ को मार गिराया जिसमे 20 दलित और 15 मुस्लिम थे।

वर्ष 1982 दिसंबर- डाकू निर्भय सिंह (बाबू) ने फूलन के 20 और साथियो को मार गिराया। दुश्मन का दुश्मन दोस्त की खातिर दोनों गिरोह निर्भय सिंह और महेंद्र सिंह बाबू दोनों एक हुए और इसी के साथ चम्बल के बीहडो पर इनका राज कायम हुआ।

वर्ष 1983 जनवरी- राजपूत डाकुओ के लगातार हमलो से डकैत फूलन और उसका गिरोह सकते में आ गए। एक एक कर फूलन गिरोह की लाशे बिछती गयी, उसके सहयोगी मुस्लिम गिरोह का पहले ही खात्माँ हो गया। बाबा फ़क़ीर पहले ही सर्रेंडर कर चुका था। अब बचे थे फूलन देवी और 80 डाकू।


22 फरवरी 1983 को फूलन देवी ने मध्यप्रदेश के तत्कालीन राजपूत मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (Arjun Singh) के सामने और कोई चारा न देख अपने 100 सदस्यों के साथ भिंड में आत्मसमर्पण कर दिया। उसने यह समर्पण राजपूत सरकार पर विश्वास की वजह से किया था।


ऐसे आई राजनीति में

डकैत फूलन जिस जाति से आति थी उस जाति का मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अच्छा-खासा वोट बैंक है। कहा जाता है कि उस पर पकड़ बनाने के लिए इंदिरा गांधी के कहने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने डकैत फूलन को सरेंडर करवाया।

1983 से 1994 तक फूलन देवी (Phoolan Devi) जेल में रही और बाद में उसे आरोप मुक्त कर दिया गया। फूलन देवी के भाई को सरकारी नौकरी दी गयी और आत्मसमर्पण किये डाकुओ में से कोई भी 8 साल से ज्यादा जेल में नही रहा। सभी के आजीवन कारावास और मृत्युदंड माफ़ किये गए। वोटबैंक के लिए डकैत फूलन के खिलाफ चल रहे सभी मामले को यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने वापस ले लिया और उन्हें समाजवादी पार्टी में शामिल कर सांसद बनवा दिया।

वर्ष 1995- फूलन देवी ने हिन्दू धर्म का त्याग कर बुद्ध धर्म अपनाया पर राजपूत, ब्राह्मण और बनियो से आज भी उसे उतनी ही नफरत थी।

वर्ष 1996- फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी की तरफ से मिर्जापुर से चुनाव लड़ा और मुस्लिम दलित गठजोड़ से चुनाव जीतकर सांसद बन गयी।

डकैत फूलन को सांसद बनाने के बाद राजपूत समुदाय के जख्म को एक बार मुलायम सिंह यादव ने उभार दिया था। निर्दोष ठाकुरों के नरसंहार का बदला लेने के लिए शेर सिंह राणा जी ने डकैत फूलन की हत्या की, ऐसा आरोप लगा।

सरेंडर किया और तिहाड़ जेल की सुरक्षा को तोड़ कर निकलना



शेर सिंह राणा जी पर आरोप है की बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए उन्होंने डकैत फूलन पर हमला किया था। जबकि दो दिनों के अंदर आरोपी शेर सिंह राणा जी ने देहरादून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। शेर सिंह राणा को पुलिस ने गिरफ्तार किया और देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में डाला गया।

हालांकि, शेर सिंह राणा जी करीब तीन साल बाद १७ फरवरी २००४ को तिहाड़ जेल से फिल्मी अंदाज में तोड़ निकले। पुलिस की काफी मशक्कत के बाद १७ मई २००६ को शेरसिंह राणा जी को कोलकाता के एक गेस्ट हाउस से एक बार फिर से गिरफ्तार किया।



शेर सिंह राणा जी ने अपनी किताब 'जेल डायरी' में पुलिस पर जुर्म कुबूल करवाने के लिए मजबूर करने का आरोप भी लगाया। अगस्त २०१४ में दिल्ली की एक निचली अदालत ने डकैत फूलन हत्याकांड के दोषी शेर सिंह राणा जी को उम्रकैद और १ लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।


राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां लाना


Kandhar Plane Highjack: वर्ष 2000 में कंधार विमान अपहरण की घटना के वक्त तत्कालीन विदेश मंत्री स्व. जसवंत सिंह (Jashwant Singh) जब अफगानिस्तान गए तो वहां तालिबान सरकार ने ही उन्हें यह बात बताई थी कि अफगानिस्तान में जहां मोहम्मद गोरी की कब्र है, उसके पास ही पृथ्वीराज चौहान की समाधि भी है। कब्र देखने आने वालों के लिये यह अनिवार्य है कि वे पहले पृथ्वीराज चौहान की समाधि को जूते मारे, फिर कब्र के दर्शन करें। जशवंत सिंह भारत लौटकर भी कुछ कर नहीं पाये, जबकि इस घटना का जिक्र मीडिया में खूब हुआ था।

जब शेर सिंह राणा सांसद फूलन देवी की हत्या के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद थे तब अखबार में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की समाधि संबंधी एक खबर प्रकाशित हुई थी। उसे पढक़र एक जेल में बंद एक तालिबानी आतंकी ने हंसी उड़ाई थी कि भारतीयों में इतना दम नहीं कि वे अफगान जाकर चौहान की अस्थियां ला सकें। यह बात उनके दिल में घर कर गई और शेर सिंह राणा देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल से 17 फरवरी 2004 की सुबह अपने साथियो सहित सुनियोजित तरीके से फरार हो गए। एक योजना के तहत उत्तराखंड पुलिस की वर्दी में तीन पुलिस के जवान 
फर्जी कोर्ट वारंट के साथ तिहाड़ जेल आये और अपने यहां पेशी का कोर्ट ऑर्डर दिखाकर शेर सिंह राणा को फरार करा ले गये।

शेर सिंह राणा (Sher Singh Rana) ने देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल की सुरक्षा की ऐसी धज्जियां उडाईं कि जेल प्रशासन से लेकर सरकार तक हिल गई थी। दिल्ली पुलिस जब उन्हें खोजने में नाकाम रही तो उसने शेर सिंह राणा पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया था, लेकिन शेर सिंह की मंजिल तो अफगानिस्तान थी।



तिहाड़ जेल से फरार होने के बाद Sher Singh Rana ने रांची निवासी संजय गुप्ता के नाम पते पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया और कोलकाता चले गए। वहां से बांग्लादेश का वीजा बनवाकर वहां गए। वहां बाकायदा यूनिवर्सिटी में इंग्लिश ऑनर्स में एडमिशन ले लिया। फिर वहां से फर्जी बांग्लादेशी पासपोर्ट बनवाकर दुबई होते हुए अफगानिस्तान के शहर काबुल पहुंचे। फिर वहां से कंधार पहुंच गये। वहां 5-6 दिन रहकर उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की समाधि खोजी और रेकी की। वहाँ समाधि नहीं मिली तो फिर वापस काबुल गए और जानकारी मिलने पर वहाँ से गजनी शहर पहुंचे। लगभग 2 महीने लग गए उन्हें समाधि खोजने में। वहाँ वे शादाब खान नाम के पाकिस्तानी ठेकेदार बनकर रहे। फिर तालिबान लड़ाकों से बचते हुए शेर सिंह राणा ने अवसर देखकर एक रात पृथ्वीराज चौहान की समाधि खोदकर उसमें से मिट्टी और अस्थियां निकाल लीं और लेकर भारत लौट आये। इस दौरान शेर सिंह राणा अपनी जान जोखिम में डालकर लगभग 3 माह अफगानिस्तान में रहे।

फरारी के दिनों के बारे में खुलासा करते हुए राणा जी ने कहा था कि अफगानिस्तान के गजनी इलाके में हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की रखी अस्थियों के अपमान की बात बचपन से सुनता आ रहा था। राणा जी ने पृथ्वीराज चौहान की रखी अस्थियों को वापस लाने की ठानी। तिहाड़ जेल से फरारी के बाद राणा जी ने झारखंड के रांची से फर्जी पासपोर्ट बनवाया। इसके बाद वह नेपाल, बांग्लादेश, दुबई होते हुए अफगानिस्तान पहुंचा। साल २००५ में वह पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां लेकर भारत आया। अपनी बात को साबित करने के लिए राणा जी ने पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी बनाया।


इसके बाद राणा ने अपनी मां की मदद से गाजियाबाद के पिलखुआ में पृथ्वीराज चौहान का मंदिर बनवाया, जहां पर उनकी अस्थियां आज भी रखी हुई है। बाद में क्षत्रिय महासभा ने कानपुर के निकट पृथ्वीराज चौहान का स्मारक बनवाया।

बता दें कि जिस वक़्त शेर सिंह राणा (Sher Singh Rana) अफगानिस्तान गए थे उस वक़्त वहाँ तालिबानी शासन था तथा काफिरो को देखते ही मार डालने के आदेश थे।


 
गौरतलब है कि परमवीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) अपने दुश्मन मोहम्मद गौरी (Mohammad Gauri) को मार कर वीरगति को प्राप्त हुए थे। बाद में गौरी की सेना ने अफगानिस्तान के गजनी शहर में गौरी की मजार बनवायी और उसके पैरों की ओर पृथ्वीराज चौहान की समाधि बनाई गई। पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए यह नियम बनाया गया की जो भी मोहम्मद गौरी की मजार पर जियारत (प्रार्थना) करने आएगा वो पहले पृथ्वीराज चौहान की कब्र पर दो दो जूते मारेगा। इसके लिए वहाँ बाकायदा जूतियां भी रखी गयी थी।


वर्ष 2004 से 2006 तक फरार होकर शेर सिंह राणा जी(Sher Singh Rana) सीधे अफगानिस्तान गए और वहाँ से सम्राट पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां और मिटटी लेकर लौटे। इस काम में उनकी सुभाष ठाकुर जी ने काफी मदद की थी। वे वहाँ के एकमात्र मंदिर भी जाकर आये जहाँ पर सिख पुजारी है।

17 मई 2006 को शेर सिंह राणा जी को कोलकाता पुलिस ने पुनः गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया। 

14 अगस्त 2014 को शेर सिंह राणा जी के 11 अन्य साथियो को कोर्ट ने बरी कर दिया और उन्हें फूलन देवी के कत्ल के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनाई गई।

22 अक्टूबर 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने शेर सिंह राणा जी की उम्र कैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें सशर्त जमानत दे दी। जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी (RJP) 'सत्य' का गठन किया।


शेर सिंह राणा जी के मुताबिक राष्ट्र के गौरव को बढ़ाने के इस कार्य को पूर्ण करने के बाद से वे बेहद संतुष्ट हैं। क्योंकि उन्होंने जो चुनौती स्वीकार की, उसे पूरा भी किया।

बाकी मीडिया वाले सही तथ्य थोड़े रखेंगे,उनको तो ठाकुरो को कैसे भी नीचा दिखाना है।

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"Government could do nothing, but he gave justice to those denied of justice of a massacre 




No one could do it, but he broke out of Tihar for bringing back the nation pride"




Name : Sher Singh Rana

Date Of Birth : 17/May/1976

Birth Place : Rudki Village ( Uttarakhand )

Know As : Indian Author And Politician

Books By शेर सिंह राणा : Jail Diary : Tihar Se Kabul-Kandhar Tak


Sher Singh Rana Born on May 17, 1976 , is an Kshatriya from Pundir Clan of Rajputs . He is an Social activist, best known for two respectful works.


Accuse To kill Phoolan Devi



First we will look at the life of Phoolan Devi .She was born in Mallah caste in Gorha Ka Purwa U.P (India).

From the beginning she had family dispute with his cousin Mayadin, she had some property related dispute with the Mayadin that’s why Mayaddin arranged Phoolan to marry Putti lal . According to Phoolan her husband was not of good character ( I do not know what is the definition of good character of a husband , this was her nature to always fight earlier she had problem with her cousin brother and after that with her husband ). There are proofs which states that she threatened her husband and refused to live with her .There are so much controversies related to her marriage life which is any how not related to Rajput Community .After all these thing she was again taken to his huband’s house where she fought with husband’s family and ran away .His own family have rejected her she became anti social element after doing all these thing she again came and continued her fight with Mayaddin (cousin brother ).we cannot understand that when her father was not interested and she was out of the family why she took Mayaddin to court for holding unlawful land .After that in 1979 Phoolan was arrested in stealing case (launched by Mayaddin) in three days of arrest she was raped and beaten by police man .All these things were done by his family and especially her brother Mayaddin Mallah. After this her family and society shunned her . Why the media is not criticising the family and the Mallah caste ?



In the same year she joined Dacoit gang .Please remember the person who was the leader was a Gujjar named Baboo. We want to ask a simple after she had faced all these things what would be the character of the lady you can understand . The deputy leader of the group Vikram (caste Mallah) killed Babbo Gujjar. Then Phoolan married to vikram as her second wife.Then Phoolan ransacked her husband Putti Lal and killed (by stabbing) and dragged him in the front of the villagers this was the character of Phoolan you can understand that what kind of her mentality ?


After all these things she ransacked the high class villagers and kidnapping of upper caste land owners , please understand that, an attempt of Rape by Babbo Gujjar(also low caste) and there was nothing which has been done by upper caste(specially Rajputs) people against Phoolan for the attempt Babbo Gujjar was murdered then why she was specially targeting the high caste people, Is it a crime in this country to belong to high caste. Later Shri Ram a thakur came out of jail and claimed the leadership of the gang. According to charges of Phoolan Shri Ram wants to make sexual advance towards Phoolan, we want to ask a simple question who was Phoolan Miss Universe Miss World or Miss India that every person wants (specially thakur’s) to make physical relationship with her?

Please understand that Phoolan was manipulating the facts that when Shri Ram took the charge he was specially torturing the Mallah community because there was not any incident before this that he would have done this kind of things and there is no such reason as well, as all of us are aware that what kind of character of Phoolan had it’s very hard to believe her every statement and after that a bollywood kind of story framed by phoolan stating that Shri Ram killed Vikram and locked her in Behmai Village and there she was raped by many men in the Behmai villagers (not specially thakur’s) and she managed to ran away and she gathered a gang of Mallah she carried “n” numbers of robberies in north and central India mainly targeting upper caste people. We cannot understand why she was targeting upper caste people only if the answer is rape in Behmai Village there is no proof that only thakurs have participated and prior to this she was raped in Police Station as well why she did not take revenge by the Police.


After 17 month from her escape from Behmai on 14th Feb 1981 she returned back to rake avenge of her rape. Her gang came in police uniform and asked to produce the kidnappers along with all valuable things in the village. She was able to recognise two of them who were involved in her rape and murder of Vikram. There was a thakur family preparing for wedding, the gang was not able to find kidnappers. She in desparation ordered to line up all the thakur in the village and shot them. We want to ask who the hell she was to decide what punishment they should get (only talking about two ) where was law and order and impotent govt. What was the crime of rest of the Thakur’s in the village the only crime was that they were from Thakur community . 

In the Behmai massacre, 20 innocent men, including 17 Thakurs, one Muslim, one Dalit and one OBC, were killed on February 14, 1981


The dacoit opened fire and killed 22 people’s of the thakur village all of them were completely innocent And the whole U.P govt system was not able to arrest Dacoit Phoolan this shows how impotent the law and order is or there could be another reason that the case was related to Rajput community goverment is least bothered about. The media have glorified her at that time we cannot understand why?

Two years after Behmai massacre police was not able to arrest her (the great UP police).Then our central govt (Prime Minister Indira Gandhi ) decided to negotiate for her surrender it shows at that time total system failure to arrest Phoolan UP police was impotent but where was Army? She was ready to surrender on his own terms and condition (which looks like award given to Phoolan for Behmai massacre rather than punishment )

The condition were as follows

1. Not to surrender UP police but she will surrender to MP police

2. She would not get the death penalty

3. Her gang members should not get more than eight years in jail

4. Her brother should be given a government job

5. Her father should receive a plot of land

6. Her entire family should be escorted by the police to her surrender ceremony

Lucrative kind of negotiation done by Prime Minister Indira Gandhi.


An unarmed police chief met her at a hiding place in the Chambal ravines. They walked their way to Bhind. The onlookers included a crowd of around 10,000 people and 300 police officer and the then chief minister of Madhya Pradesh, Mr. Arjun Singh. Three hundred police were waiting to arrest her and other members of her gang who surrendered at the same time.

Dacoit Phoolan was charged with 48 crimes, including thirty charges of dacoity (banditry) and kidnapping. Her trial was delayed for eleven years, which she served in the prison. Phoolan was released in 1994 on parole. We cannot understand that our goverment can be impotent what about the judiciary? Why court did not gave her life sentence when the charge sheet was so heavy ?

She got a train stopped at unscheduled stops to meet her acquaintances in Uttar Pradesh. The railway minister, Ram Vilas Paswan played down the train incident and ordered only a nominal enquiry. Once, she visited the Gwalior jail (where she was imprisoned) to meet her former inmates. When the jail officers didn't let her in due to the visiting hours rules, she abused them. Later, a suspension order was issued against the jail officials involved in the incident, without any explanation. This was her real character which she was not able to change till last time always shown her true color of blood.

But peoples with vested interest are celebrating literal dacoit & blood thirsty murderer who lined up and shot innocent unarmed men to satiate her twisted sense of justice, not surprising when one claims decent from literal asurs their heroes will be in same image of cruelty & immoral wanton violence. Phoolan is also perfect example how former unhinged criminals are not only allowed to participate in but even rule over flawed democratic structure of India, the same people who harp day & night about the supremacy of constitution will openly celebrate a cold blooded murderer,


On July 25 2001, Sher Singh Rana alias Pankaj's killed Samajwadi Party MP Dacoit Phoolan to avenge the massacre of 17 upper caste Thakurs, 1 muslim, 1 dalit, and 1 OBC was shot dead by Phoolan's gang on February 14, 1981, in Behmai, Uttar Pradesh. Sher Singh is a Thakur and belongs to Roorkee. This person is greater than our whole system he was manage to punish a guilty when even complete system was not able to do so. We should salute him and if possible govt should award him with Ashok Chakra (AC) award because he have done such bravery which our whole system (Police, CBI,ARMY including all the forces ).



On 25 th there was big celebration in Behmai

a cop at the Rajpur police station, about 15 Kms from the village, had something else to say. "We could hear the boom of guns from Behmai," he said.

It was divine retribution. God punished her for her sins," was the brief and crisp remark of 50-year old Santoshi Devi, who had helplessly watched her husband Banwari begging for his life before a haughty Phoolan who refused to show any mercy. The massacre that followed earned her instant notoriety and the infamy of 'bandit queen'.


Almost each of the 12 surviving widows of Dacoit Phoolan's massacre victims shares this sentiment.

Munni Devi was barely 15 and at her parent's place after her unconsummated marriage (a tradition prevalent in parts of rural India) when she got the news of her husband Lal Singh's brutal end. She remains a widow to this day.

"She had to be repaid in the same coin," she quipped.

"We were all thrilled to hear about the manner in which Dacoit Phoolan met her end. We are among those who have suffered in the 20 years that have gone by since that dacoit pumped bullets into my innocent father's chest," said a 21-year old college going lad, whose widowed mother pleaded anonymity.

Another youngster who was not even born when the sensational Genocide took place was even more forthright.

"Ever since our childhood, our blood always boiled when we heard about the massacre. What is wrong if we fired guns to express our jubilation now when God has punished her?"



Sher Singh Rana Ji is to be honoured for upholding the dignity of the community as he has avenged the killing of 22 Kshatriyas by Dacoit Phoolan in the Behmai massacre. Rana ji is the new hero of community and every youth should follow his as ideal and message should be clear enough “NEVER MESS WITH INNOCENT RAJPUTS”


SECOND GREAT THING DONE BY SHER SINGH RANA JI

Mahmud Ghazni (Mahniud Ghaznvi) came and attacked India about seventeen times between 1001-1026 A.D. Mahmud Ghazni ruled from Ghazni, a city in Afghanistan. Rajput King Prithvi Raj Chauhan, who forgave him all the time, ultimately himself was defeated and was captured by Ghazni. He made Prithvi Raj blind and he was ultimately killed. His ashes were kept in Afghanistan.

Sher Singh Rana, the prime accused in the Dacoit Phoolan murder case, escaped from the jail two years earlier. He had a national mission in his mind, he wanted to bring the ashes of Rajput Ruler Prithvi Raj Chauhan back to India whose ashes were buried in Afghanistan.



Rana ji said he brought relics and sand from the king's grave in Ghazni and also had a memorial built in Etawah in UP. (Police in Kanpur said all that exists in the name of a memorial was a foundation stone for a temple.)

Rana told the police that got a fake passport from Ranchi and flew to Afghanistan on a student visa in early 2005 -- about 10 months after his escape from Tihar. A former D-company member Subhash Thakur, whom he had first met in Tihar jail, financed his trip. This was despite the fact that a lookout notice had been issued against him.


During his three-month stay in that country, Rana went searching for the king's "grave" -- he admitted to his interrogators he had little idea about the location. Only, he had heard that people disrespected the king's "resting place" and "that hurt" him the most.

After touring Kandahar, Kabul and Herat, he finally reached Ghazni. On the outskirts of Ghazni, at a small village called Deak, he claimed to have found the tomb of Muhammed Ghori. A few metres away lay Prithviraj Chauhan's tomb.


Rana said he convinced the locals that he had come from Pakistan to restore Ghori's tomb. On the sly, he dug Chauhan's "grave" and collected sand from it. He even got his "achievement" recorded on video.


In April 2005, he was back in India. He sent the 'ashes' through courier to Etawah and organised a function there with the help of local politicians. Rana's mother, Satwati Devi, was the chief guest.


His mother hailed his son as the "pride of the country". "My son has only served this country. He brought the remains of Last Hindu Samraat Prithviraj Chauhan to India," she said.

The whole India should feel proud of him.

As her mother is proud of him, whole country should be proud of him.


“Thaan thaan te ghumde aa Ranga Billa aam, 
per Sher Singh Rana jihe koee nee 
(Ranga Billas are dime a dozen but there’s none like Sher Singh Rana)”

3 comments:

  1. Yeeh! mai bhi subscriber hu jail dairy ki,
    2 saal pahle maine srf 2 din me hi puri pad li :))

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    1. Rest baisa hukum ji we also read it as believe it helps in many aspects as ...

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