Sunday, December 5, 2021

उत्साह.....?

 

_/\_सभी सनातनी राष्ट्रवादियों को शौर्य दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं _/\_


जीवन में सफलता प्राप्त करने के सभी साधनोंमें  उत्साह का प्रमुख स्थान है। इसके बिना अपनी उन्नति के किसी भी कार्यक्रम में आप सफल नही हो सकते या युं कहिये की उत्साह का सहारा लेकर ही आप अपने परिश्रम का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं। जीवनमें आपको जो कुछ भी करना है चाहें- एकाग्रता का पाठ पढ़ना चाहें, अथाह शक्ति अर्जित करना चाहें अथवा आत्मोन्नति करना चाहें- सभीमें उत्साह का कार्यशील बनाता है, कार्यरत रखता है और उन्नतिकी ओर अग्रसर करता है। किंतु यह उत्साह क्षणिक नहीं बल्कि स्थायी होना चाहिए।

उत्साह बडा ही प्रेरणापद है। बिना उत्साह के बड़े ही प्रभावशाली तर्क-वितर्क भी आपको कार्यशील नहीं बना सकते। किसी भी कार्य में यदि आप श्रेष्ठता प्राप्त करना चाहते हैं अथवा करके शिखर पर पहुँचना चाहते हैं; चाहे वह आपका प्रिय व्यापार हो, आपका दैनिक कार्य हो या आपके अध्यन्नका विषय हो तो इसके लिए आपको पहले अपनेमें उत्साह उत्पन्न करना पड़ेगा और फिर उस तीव्र उत्साहको बनाये रखना पड़ेगा।


उत्साहको उत्पन्न करने और बढ़ाने के कितने ही नियम हैं। आप उन नियमों को पालन करने का प्रयत्न कीजिये, सफलता आपकी दासी बनकर रहेगी। अपने विषयमें विशेषज्ञ बननेका प्रयत्न कीजिये। आप विद्यार्थी हों तो अध्यन्नसे, चकित्सक हों तो गान-विद्या-विषयक अभ्यास सानुराग उत्पन्न कीजिये। अपने कार्यसे एकाकार हो जाइये। अपने विषयकी गहराइयोंमें प्रवेश कीजिये तो उत्साह बढ़ता ही जायेगा। उत्साह आपकी योग्यता और चतुर्यके साथ बढ़ता ही जायेगा। जैसे ही किसी विषयमें आपका उत्साह कम होने लगे, उस विषय की सूक्ष्मताओं की खोजमें लग जाइये।


जो भी कार्य कीजिये, उसमे नया जीवन फूंक दीजिये, हस्ते हुवे, मुस्कराते हुए, कीजिये। सदा सर्वत्र आपके मुखपर आशा और उमंगकी छाप होनी चाहिये।


अपनी विफलताओं पर निराश न होईये, उनको बार-बार मस्तिष्क   में स्थान न दीजिये। विफलताएँ  सफलता का रास्ता खोल देती है। अपनी सफलताओं और पूर्ण किये हुवे कार्योंके विषयमें दूसरे से बातचीत कीजिये ; परंतु ध्यान रखिये की अहंकार का भाव न आने पाये। अपने सौभाग्य के विषय में  दूसरों को बताइये अपनी विफलताओं और भूलोंके  विषय में दूसरोंको न बताइये। अपनी विफलताओं और भूलोंके के विषयमें चुप, परंतु सावधान रहिये आपका उत्साह दिन दूना रात चौगुना बढ़ेगा।

महापुरुषों की जीवनी पढ़िए, उनके-जैसे चरित्रवान् बनने का प्रयत्न कीजिये। जनरल ज़ोरावर सिंह की जीवनी पढ़िए जिसको हिमालय पर्वतने रास्ता दे दिया था और कुमार (सम्राट) स्कन्दगुप्त के जीवन से प्रेरणा लीजिये जिन्हें बरसात में बड़ी हुई नदी ने रास्ता दे दिया था। ये उत्साहके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।


हमारी मानसिक स्थिति का प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है और हमारी शारीरिक दशा हमारे मानसको प्रभावित करती है। उत्साह मुस्कान, हँसी, लगन, शक्ति, ध्यान अथवा सावधानी के रूपमें प्रकट होता है। ये ही शक्तियाँ हमें सफलताकी और अग्रसर करती हैं। संसार के चित्रपट पर उत्साही पुरुषका अभिनय कीजिये। यथार्थ उत्साह स्वयमेव उपरकी शक्तियों को प्रकट कर देगा।


जीवनके हर पहलू मैं उत्साह ही मनुष्यको सामान्य या वशिष्ट बनाता है। एक विद्यार्थी, जिसके लिए विद्याध्ययन केवल कर्तव्य है, एक साधारण नागरिक ही बन पाता है, जबकि दूसरे विद्यार्थी यदि अपना कार्य साहस और उत्साहके साथ करता है तो महान् बननेकी योग्यता रखता है।


उत्साह आपके कार्यको उस प्रसन्नता और सफलता में बदल देगा जिसकी आप बहुत दिनों से आशा लगाये बैठे थे। उत्साह ही सफलताका रहस्य है जो कि आपके गुणों कों और समृद्ध बनाने में सहायक है।



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