Monday, May 18, 2020

LEGENDARY MAHARANA KHETA SINGH / BATTLE OF BAKROLE - IMMORTAL RAJPUTS


राणा क्षेत्र सिंह जिन्हें राणा खेता के नाम से भी जाना जाता हैं। राणा क्षेत्र सिंह या राणा खेता मेवाड़ साम्राज्य के शासक थे। क्षेत्र सिंह के पिता का नाम राणा हम्मीर सिंह था।

इनका कार्यकाल १३६४ से १३८२ ईस्वी तक रहा। १३८२ ईस्वी में राणा क्षेत्र सिंह की मृत्यु हो गई। राणा क्षेत्र सिंह ने १८ वर्षों तक शासन किया था। इनसे पहले इनके पिता राणा हमीर सिंह मेवाड़ पर राज्य करते थे और इनके पश्चात राणा लाखा मेवाड़ क्षेत्र के राजा बने।

राणा क्षेत्र सिंह ने राजा बनते ही अजमेर पर आक्रमण कर दिया और उसे जीत लिया, अब अजयमेरु रियासत मेवाड़ का हिस्सा बन गई। यह राणा क्षेत्र सिंह की पहली उपलब्धि मानी जाती है।

इतना ही नहीं इन्होंने बिजोलिया और भीलवाड़ा को भी जीत लिया जिसमें । जब अजमेर, मेवाड़ राज्य का हिस्सा बन गया। तब मेवाड़ का एक युवराज पृथ्वीराज सिंह सिसोदिया अजमेर गए और अजयमेरु दुर्ग के चारों तरफ एक परकोटा बनाया और इस दुर्ग का नाम तारागढ़ रख दिया।

हाड़ा राजवंश के राजा को पराजित करने वाले राणा क्षेत्र सिंह मेवाड़ के प्रथम शासक थे, इसका प्रमाण हमें एकलिंगनाथ प्रशस्ति में मिलता हैं। धीरे-धीरे पूरा हाड़ौती क्षेत्र राणा क्षेत्र सिंह के अधिकार में आ गया।

इतना ही नहीं छप्पन का क्षेत्र नामक स्थान भी इन्होंने अपने कब्जे में ले लिया। राणा क्षेत्र सिंह अपने राज्य विस्तार के अगले पड़ाव में मालवा पर आक्रमण कर दिया। इस समय मालवा पर दिलावर खान का शासन था।

दिलावर खान राणा क्षेत्र सिंह के सामने नहीं टिक पाए और मौत के घाट उतार दिए गए। यहीं से मेवाड़ मालवा संघर्ष का प्रारंभ हुआ।


दासी पुत्र चाचा और मेरा और क्षेत्र सिंह के वंशज

राणा क्षेत्र सिंह की एक दासी थी जिसका नाम खातीन था। खातीन से दो पुत्र हुए जिनका नाम चाचा और मेरा था। इन दोनों ने आगे चलकर राणा क्षेत्र सिंह के पोते महाराणा मोकल की हत्या कर दी। इस समय महाराणा मोकल गुजरात में राज्य विस्तार हेतु जा रहे थे।

इन दोनों के अलावा मेवाड़ की रानी और राणा क्षेत्र सिंह के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम राणा लाखा था जो आगे चलकर मेवाड़ के शासक बने।


राणा क्षेत्र सिंह हैं कि मृत्यु कैसे हुई?

महाराणा क्षेत्रसिंह का विवाह बूंदी के शासक लालसिंह हाड़ा की पुत्री से हुआ

कुछ वर्षों बाद सन १३८२ में बरबड़ी देवी के पुत्र बारु (महाराणा के खैरख्वाह) की लालसिंह हाड़ा से तकरार हो गई | किसी विवशता के चलते बारु ने अपना सिर काटकर एक लड़के के ज़रिए लालसिंह हाड़ा के पास भिजवा दिया |

जो लड़का सिर लेकर गया, उसके वंशज भाट लोग हैं जो कि उदयपुर के करीब चीकलवास गाँव में मौजूद हैं |

इस बात का पता महाराणा क्षेत्रसिंह को चला, तो उन्होंने बूंदी पर चढाई कर किले को घेर लिया। किसी ने नहीं सोचा था कि यह युद्ध मेवाड़ के शासक राणा क्षेत्र सिंह और बूंदी के शासक लाल सिंह दोनों की एक साथ जान ले लेगा।

कई दिनों की लड़ाई के बाद एक दिन महाराणा क्षेत्रसिंह किले की दीवार पर चढे, तो भीतरी लोगों ने उन पर हमला कर दिया, जिससे महाराणा बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए एंव युद्ध मैदान में ही राणा क्षेत्र सिंह ने दम तोड़ दिया। इस तरह मेवाड़ के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले साथ ही मेवाड़ को अजमेर तक विस्तारित करने वाले महान शासक राणा क्षेत्र सिंह की मृत्यु हो गई। राणा क्षेत्र सिंह ने मेवाड़ पर लगभग १८ वर्षों तक शासन किया था।

लालसिंह हाड़ा मेवाड़ी फौज के हाथों मारा गया और वरसिंह हाडा बच निकला

* इस तरह महाराणा क्षेत्रसिंह का देहान्त हुआ और महारानी हाड़ी (लालसिंह हाड़ा की पुत्री) महाराणा के साथ सती हुई।

राणा क्षेत्र सिंह की मृत्यु के पश्चात इनका पुत्र राणा लाखा (लक्ष्य सिंह) मेवाड़ के शासक बने।

* महाराणा क्षेत्रसिंह के पुत्र -

१) महाराणा लाखा

२) कुंवर भाखर - इनके वंशज भाखरोत सिसोदिया कहलाते हैं

३) कुंवर माहप

४) कुंवर भुवनसिंह

५) कुंवर भूचण - इनके वंशज भूचरोत कहलाते हैं

६) कुंवर सलखा - इनके वंशज सलखावत कहलाते हैं

७) कुंवर सखर - इनके वंशज सखरावत कहलाते हैं

८,९) चाचा व मेरा - इनकी माँ खातण पासवान थी | इन दोनों भाईयों ने महाराणा क्षेत्रसिंह के पोते महाराणा मोकल की हत्या की थी |


MahaRana Kheta/Kshetra Singh (died 1382), was Maharana (r. 1364–1382) of Mewar Kingdom. Rana kshetra Singh 
Son and successor of the celebrared Hindu King MahaRana Hammir Singh, He was a legendary Rajput Warrior who defeated many Rajas, captured bundi and Haravati, obtained a victory over the king of Delhi.

~Source -Tod's Annals nd Antiquites of Rajasthan

 
Rana Kshetra Singh
(Rana of Mewar)

Reign
(c. 1364 – c. 1382)

Predecessor
(Hammir Singh)

Successor
(Lakha Singh)

Died
(1382)

Issue
(Lakha Singh, Chacha and Mera)

Dynasty
(Sisodias of Mewar)

Father
(Rana Hammir Singh)

Mother
(Songari chauhan)

Rule 

Maharana Kshetra Singh 

He was the son of Hammir Singh.He was a valiant and worthy ruler like his ancestors, among  Hindus, the holy Tristhali (Kashi, Prayag and Gaya) was taxed under Muslim rule. Kshetra Singh made these sacred sites tax-free by giving gold currencies. 

It is mentioned in the inscription of Shringi Rishi.

गयातीर्थ व्यर्थीकृतकय ( था ) पुराणस्मृतिपथं शकै क्रूरालोकैः करकटकनिर्यप्रणामधात् । 
मुमोचेदं भित्ता घनकनकटंकैर्भवभुजां सहप्रत्यावृत्या निगडमिह लक्षक्षित्तिपतिः ॥

Defeating Sultan Dilawar Khan Gauri of Malwa, it is mentioned in the inscription of Shringi Rishi.

पाजावमीसाहमसिमभावाज्जित्वा हत्वा यवनानशेषान् । 
यः कोशजातं तुरगानसंख्यान्समानयत्वां किल राजधानी ॥६ ॥

Translation : Kshetra Singh conquered  Amishah  ( dilawar khan Gouri ) and destroyed his Yavan army and brought all his treasure and horses to his capital.

There is a mention in the verse in the book Eklingamahatmya written during the time of Maharana Kumbha.

यमीसाहं हत्वा रणमुवि पुरा मालवपति जयोत्कर्ष हर्षादलभत किल क्षेत्रनृपतिः । तथैव श्रीकुंभः खिलिचिमहमदं गजघटा वृतं संख्यजैषीन हि .............. कोप्यसदृशः॥

Translation : Just as the first king Kshetra Singh won the lord of Malwa, Amishah, in the same way that Kumbha won Mahmud Khilji.

MahaRana Kshetra Singh greatly enlarged the kingdom and ruled mewar from A.D 1364 to A.D 1382. In his reign, he conquered Ajmer nd Jahazpur, re-annexed mandalgarh,mandsor nd whole of the chappan to mewar.

He obtained a victory over the Sultan of Delhi, who was utterly defeated at Bakrole. Kshetra Singh also took the Sultan of Gujarat prisoner in a battle. 

The Kumbalgarh inscription says that he captured Zafar Khan, Sultan of Patan (who later became the first independent Sultan of Gujarat). 

Rana Kshetra Singh further increased his fame by defeating the Sultan of Malwa and killing his general AmiShah. 

Rana Kshetra Singh died in 1382 AD during a campaign against the Hada of Bundi. Rana kshetra Singh was succeded by his son Rana Laksha or Lakha,who was also great king of his time.


References 

 "UDAIPUR". Archived from the original on 27 December 2016. Retrieved 10 September 2013.

Tods annals and antiquities vol I pg 274

Har Bilas Sarda "Maharana Kumbha: sovereign, soldier, scholar" pg 4

Lane Poole's Muhammadan Dynasties of India pg 376


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