Friday, March 26, 2021

VALIANT NANT RAM SINGH NEGI - IMMORTAL RAJPUTS

 


नन्तराम नेगी (नती राम नेगी) का जन्म सन 1725 में बेराट खाई, जौनसार परगना, देहरादून में हुआ था। मुगल सेना को धूल चटाने वाला अप्रतिम वीर, साहसी, देशभक्त और राजभक्त। देहरादून के सुदूर-पश्चिम में स्थित जौनसार- भाभर एक जनजातीय क्षेत्र है। भौतिक दृष्टि से पिछड़ा किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से सम्पन्न, सादा व निश्छल सामाजिक जीवन का धनी, प्राकृतिक सौन्दर्य व पौराणिक परम्पराओं से युक्त यह क्षेत्र वीर—भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है।


रोहिला सरदार गुलाम कादिर खान मध्य हरिद्वार में खून की नदियाँ बहाता हुआ देहरादून पंहुचा। उसने देहरादून को तहस नहस करके गुरुद्वारा गुरु राम राय में गोऊ हत्या कर के गुरूद्वारे में आग लगा दी। देहरादून से वो नाहन सिरमौर,हिमांचल प्रदेश की ओर बड़ा। उसने पौंटा साहिब में डेरा डाल दिया। नाहन का राजा उस बड़ी फौज को देखकर घबरा गया। उस समय सिरमौर के राजा जगत प्रकाश जी थे। राजा के नाबालिक होने के कारण राज-काज उनकी माता देखती थी। उन्होंने घोषणा करवाई कि इस कठिन परिस्थिति में नाहन राज्य को कौन बचा सकता है? राज–दरबारियों ने राजमाता को सलाह दी कि वीर नन्तराम नेगी इस कार्य के लिए आगे आ सकता है।


नाहन के राजा ने तत्काल अपने सेनापति को बेराट खाई भेजा। दुर्गम पर्वतीय मार्ग से होता हुआ वह सेनापति नन्तराम के गढ़ बेराट खाई पहुँचा। सेनापति ने राजा का सन्देश उस नवयुवक को दिया। नन्तराम तुरन्त तैयार होकर नाहन की ओर चल दिया। राजा इस सुगठित नौजवान को देखकर प्रसन्न हुआ। उसने नन्तराम की परीक्षा लेने के लिए दरबार में एक भारी-भरकम तलवार मंगाई आर दरबार के बीच रखकर उसे उठाने का आदेश दिया। नन्तराम तलवार की ओर बढ़ा और उसने तुलवार को उठाकर बहुत सरलता से हवा में घुमा दिया। उसके इस सामर्थ्य को देखकर सारा दरबार नन्तराम की जय-जयकार से गूंज उठा। इसके बाद एक सैनिक टुकड़ी की बागडोर नन्तराम की सौंप दी गई। उसको लेकर नन्तराम यमुना के तट पर पहुंचा जहां मुगल सेना पड़ाव डाले हए थी। मुस्लिम सिपहसालार शक्ति के नशे में चूर थे। उन्हें यह कल्पना तक न थी कि कहीं कोई अवरोध भी हो सकता है। इधर नन्तराम ने पहुंचते ही आक्रमण प्रारम्भ कर दिया। मुगल हक्के-बक्के रह गये। अभी वे संभल भी न पाये थे कि पर्वतीय सैनिकों ने भारी मारकाट मचा दी। स्वयं नन्तराम बहादुरी से आगे बढ़ा और मुगल सेनापति के तम्बू में जा घुसा। मुगल शराब के नशे में डूबे थे। वे प्रतिकार के लिए तत्पर हो इसके पहले ही नन्तराम ने मुगल सेनापति का सिर धड़ से अलग कर दिया। सेनापति विहीन माल फौज भाग खड़ी हुई। अनेक सैनिक यमुना के तज बहाव में बह गये। मुगल सैनिको ने नेगी नती राम के साथ कोलर तक लड़ाई लड़ी जिस कारण नेगी नती राम व उनका घोड़ा बुरी तरह से घायल हो कर वापिसी में मारकनडे की चढाई में 14 फरवरी सन 1746 विक्रम सम्वत को वीरगती को प्राप्त हुए। तत्पश्चात माहराजा सिरमौर ने नेगी नती राम के परिवार वालो को गुल्दार की उपाधि से सम्मानित किया और बतौर ईनाम में कालसी तहसील जो अब उत्तराखंड में है की स्थाई वजीरी व ग्राम मलेथा उत्तराखंड और ग्राम मोहराड तथा सियासु हिमाचल प्रदेश दिया गया जिसकी कोई माल गुजारी न होती थी आज भी नेगी नती राम के वंशज ग्राम मोहराड तहसील शिलाई जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश व ग्राम मलेथा तहसील चकराता जिला देहरादून उत्तराखंड मे रहते है जिनको नेगी गुल्दार, चाक्करपूत व बेराठीया के उप नाम से जाना जाता है।


The Great Rajput warrior Nant Ram Singh Negi lived in mid. of the 17th Century. It was the Infamous reign of Mughal emperor Aurangzeb in Delhi. Mughal Army had come to capture Himalayan Hill states (Sirmaur onward) and settling camps at Paonta Sahib dun. Raja King of Sirmaur ( Capital- Nahan) was worried by this Large Mughal Army and he inquired for a person who can save Sirmaur. Courtiers of Raja advised him to call Nant Ram Singh Negi, who was a great warrior. Raja sent an invitation to the Nant Ram Singh Negi, which was accepted. Nant Ram Singh presented himself in a court of Nahan and demonstrated his strength and sword skills. Amazed by his skills king made him commander of a battalion, to lead an attack on Mughal army camps at Yamuna bank in Paonta dun.

Mughal army was expecting the surrender of Raja, but this unanticipated attack on their camps, left Mughals baffled. Before Mughals could retaliate; Nant Ram Singh Negi bravely entered the Mughal commander Camp killing all guards and chopped -off the head of the Mughal Commander. This caused huge panic in the Mughal army and forced the Mughal army of several thousand to retreat. The Rajput King of Nahan gracefully honoured the victorious warrior with Waziri of Kalsi Tehsil, called Both Waziri. He guarded boundaries of Jaunsar-Himachal till badshahi bagh. and didn’t let Mughals to enter in. This victory over Mughals was celebrated in all over sirmaur state 

Although because of the lack of historical texts, history books might not have mentioned valour of this warrior he still lives on in Harul songs of Hills

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